Saturday, 12 October 2013

आचार्य चाणक्य जी ने बताया कि किसकी कैसे जाना जाए .

1-  निरन्तर अभ्यास से विधा ारण=प्राप्त की जाती है |कुल उत्तम गुण-कर्म-स्वभाव से धारण=स्थिर होता है |श्रेष्ठ मनुष्य तो गुणों के द्धारा जाना जाता है और क्रोध नेत्रो से जाना जाता है |

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