Monday, 7 October 2013

आचार्य चाणक्य जी ने विधा से रहित लोगो के वारे में क्या कहा है.

1-  रूप-लावण्य और यौवन से युक्त तथा बड़े कुल में जन्म लेने पर भी विधा से रहित मनुष्य वैसे ही सुशोभित नहीं होते जैसे गन्धरहित ढांक  ,टेसू के फूल शोभित नहीं होते |

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