1- एक ही पुष्पों से लदे हुए और उत्तम गन्ध से युक्त उत्तम वृक्ष से जैसे सारा
वन सुवासित हो जाता है वैसे ही उत्तम गुणों से युक्त पुत्र से सारा कुल सुभूषित हो
जाता है |
2- आग से जलते हुए एक ही सूखे वृक्ष से वह सारा वन जल जाता है (जिस वन में वह सूखा
वृक्ष होता है )उसी प्रकार कुपुत्र ,मूर्ख ,धूर्त ,पुत्र से सारा कुल नष्ट हो जाता है ,उसकी प्रतिष्ठा धूल में मिल जाती है|
3- विधा से सुभूषित और सज्जन स्वभाव वाले एक ही सुपुत्र से सारा कुल ,परिवार ऐसे आनन्दित और
प्रमुदित हो उठता है जैसे चंद्रमा के उदित होने से रात्रि प्रकाशित हो जाती है |
4- शोक-सन्ताप उत्पन्न करने वाले ,ह्रदय को जलाने वाले बहुत से पुत्रों के उत्पन्न होने से क्या लाभ ?कुल को सहारा देने वाला एक ही पुत्र श्रेष्ठ है ,जिसके आश्रय से सारा कुल विश्राम पाता है,सुख भोगता है |
5- पांच वर्ष तक पुत्र का लालन-पालन ,लाड़-प्यार ,दुलार करना चाहिए ,दस वर्ष तक उसका ताडन ,दण्ड प्रदान आदि करना
चाहिए ,सोहलवें वर्ष के लगते ही पुत्र के साथ मित्र के सामान
व्यवहार करना चाहिए |
6- सैकड़ों भी गुणरहित और मूर्खों से एक गुणवान पुत्र श्रेष्ठ है क्योंकि चन्द्रमा अकेला ही अन्धकार का नाश करता है परन्तु हजारों तारागण अन्धकार का नाश नहीं करते और नहीं कर सकते |
7- मूर्ख पुत्र दीर्घयु वाला उत्पन्न होने पर भी उससे ,उसकी अपेक्षा पैदा
होते ही मर जाने वाला पुत्र श्रेष्ठ होता है ,क्योंकि वह मरा हुआ पुत्र थोड़े समय के लिए दुःखदायी होता है और मूर्ख जब तक
जीता है ,जीवन धारण करता है ,तब तक जलाता है |
8- बुरे ग्राम में निवास,नीच कुल कि सेवा ,बुरा भोजन और क्रोधी स्वभाव वाली पत्नी तथा मूर्ख पुत्र और विधवा कन्या –ये छह बिना अग्नि के ही शरीर को जलाते हैं |
9- उसी प्रकार उत्पन्न हुए उस पुत्र से क्या प्रयोजन ,लाभ जो न विद्धान हो
और न ही भक्तिमान हों उस गाय से क्या किया
जाए ,क्या लाभ ,जो न दूध दे ,और न ही गर्भ धारण करे
,ठीक |
10-संसार के (आध्यात्मिक,आधिभौतिक,आधिदैविक )त्रिविध तापों से तप्त
मनुष्यों के लिए तीन शांति के साधन हैं –विद्धान और धार्मिक पुत्र ,सती –साध्वी ,पतिव्रता नारी और श्रेष्ठ कि संगति |
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