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विवेकशील स्वाभिमानी राजा को प्रबंध सबंधी जटिल समस्याओं के आने पर अपने प्रतिमानी विचारों द्धारा निष्कर्ष निकाल लिया जाए और फिर उसी अनुरूप आचरण किया जाना चाहिए |
भावार्थ- राजा विचारणीय
समस्या के अनुकूल ,प्रतिकूल दोनों रूपों ,करने न करने अथवा समस्त परिणामों पर
द्रष्टि डालने के लिए उपस्थिति विचारणीय कर्तव्य का विरोध करने वाली प्रतिकूल
उक्तियों द्धारा अपने निर्णय को अभ्रांत तथा अखण्डनीय रूप देकर कर्तव्य का पालन
करे |वह इन कार्यो के विषय में अनुकूल ,प्रतिकूल दोनों पक्षों को स्वयं ही सम्मति
मांगने और स्वयं ही सम्मति देने वाला द्दिभागात्मक बनकर निर्णय करे |
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