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सत्यहीन को केवल स्नेही होने से हितकारी रहस्यों की आलोचना में सम्मिलित न करना चाहिए |
भावार्थ- कार्य की
गुरुता उसके सम्पादन की योग्यता-अयोग्यता ही कर्ता की शक्ति की कल्पना होती है
|उसी से उसे योग्य या अयोग्य ठहराया जाता है |कार्यो की निपुणता ही मन्त्रियों की
सामर्थ्य माना गया |कार्याकार्य विवेकहीन ,सत्यहीन व्यक्ति को केवल स्नेही होने से
उस व्यक्ति को हितकारी रहस्यों की आलोचना में सम्मिलित न करना ही अच्छा होता है
|छोटे या बड़े कार्यो द्वारा व्यक्ति की योग्यता-अयोग्यता का पता चलता है |
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