Monday, 7 October 2013

आचार्य चाणक्य जी ने के नीतिमान लोगों बारे में क्या कहा.

1-      नीतिमत्ता नीतिमान लोग सभी संपत्तियों से सम्पन्न होकर रहते हैं |



 भावार्थ  -जितेन्द्रीय लोग जिस काम में हाथ डालते हैं उसे पूरा करके समस्त संपत्तियों से सम्पन्न हो जाते हैं |एश्वर्य और सिद्दियाँ जितेन्द्रीयों के पास आने के लिए उतावली हो जाती हैं |वह लोग सामाजिक कार्यों को अपनी निर्लिप्त मानसिक स्थति के साहरे पौरुष के साथ करने की योग्यता पा जाते हैं |इसलिए आत्म-विजय,सम्पत्ति अर्जन से पहला काम है |राज्य संस्था जितेन्द्रीय लोगों का तपोवन हैं |यह प्रकृति और ईश्वर का नियम है |

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