Sunday, 13 October 2013

चाणक्य जी ने बताया कि राजा को अपना मन्त्री किस प्रकार का नियुक्त करना चाहिए .

1-       कई विधाओ में पारंगत व् गुप्त रूप से ली हुई लोभ परीक्षाओं से प्रमाणित व्यक्ति को मंत्री नियुक्त करना चाहिए |

भावार्थ- मंत्री पद के लिए नियुक्त होने के लिए व्यक्ति को तर्कशास्त्र ,दंडनीति ,वार्ता आदि विधाओं में पारंगत तथा गुप्त रूप से ली हुई परीक्षाओं में खरा प्रभा-मित होने वाले व्यक्ति को ही मंत्री पद पर नियुक्त करना चाहिए |मंत्री बनने ले लिए व्यक्ति को इन विधाओ से युक्त होना आवश्यक होता है ,क्योंकि राज-काज चलाने में राजा के साथ मंत्री का बहुत सहयोग होता है |येसे मंत्रियो के होने पर राजा का राज-काज व् राज्य खुशहाल व् सम्पन्न रहता है और प्रजा और राजा दोनों ही खुशहाल रहते हैं |

2-      कार्य ,अकार्य दोनों की वास्तविकता को ठीक-ठाक समझने वाले ,अपने नियत वेतन से अधिक चाहने वाले तथा मन्त्र के रहस्य को समझाने वाले मन्त्री होने चाहिएं |


  भावार्थ- मन्त्री लोग विधाओं में पारंगत विशुद्दकुलीन धर्म ,अर्थ दोनों में प्रवीण सरल स्वभाव वाले ब्रह्मवेत्ता होने चाहिएं |मन्त्र जब प्रारम्भ में भेद पा जाता है ,तब उस पर किसी का वश नहीं रहता है |इस द्रष्टि से मन्त्रियों के निर्धारण में बड़ी सावधानी की आवश्यकता है |मन्त्र संगोपन की शक्ति ही मन्त्रियों की एकमात्र मूल्य है |अपना व्यक्तिगत स्वार्थ न चाहने वाले ,विवेकी लोग ही मन्त्रणा के उपयुक्त होते हैं |मन्त्र की यथार्थता को स्वभाव से पहचान जाने वाले मन्त्री होने चाहिएं |

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