1-
कई विधाओ में पारंगत व् गुप्त रूप से ली हुई लोभ परीक्षाओं से
प्रमाणित व्यक्ति को मंत्री नियुक्त करना चाहिए |
भावार्थ- मंत्री पद के लिए
नियुक्त होने के लिए व्यक्ति को तर्कशास्त्र ,दंडनीति ,वार्ता आदि विधाओं में
पारंगत तथा गुप्त रूप से ली हुई परीक्षाओं में खरा प्रभा-मित होने वाले व्यक्ति को
ही मंत्री पद पर नियुक्त करना चाहिए |मंत्री बनने ले लिए व्यक्ति को इन विधाओ से
युक्त होना आवश्यक होता है ,क्योंकि राज-काज चलाने में राजा के साथ मंत्री का बहुत
सहयोग होता है |येसे मंत्रियो के होने पर राजा का राज-काज व् राज्य खुशहाल व्
सम्पन्न रहता है और प्रजा और राजा दोनों ही खुशहाल रहते हैं |
2-
कार्य ,अकार्य दोनों की वास्तविकता को ठीक-ठाक समझने वाले ,अपने नियत वेतन से अधिक न चाहने वाले तथा मन्त्र के रहस्य को समझाने वाले मन्त्री होने चाहिएं |
भावार्थ- मन्त्री लोग
विधाओं में पारंगत विशुद्दकुलीन धर्म ,अर्थ दोनों में प्रवीण सरल स्वभाव वाले
ब्रह्मवेत्ता होने चाहिएं |मन्त्र जब प्रारम्भ में भेद पा जाता है ,तब उस पर किसी
का वश नहीं रहता है |इस द्रष्टि से मन्त्रियों के निर्धारण में बड़ी सावधानी की
आवश्यकता है |मन्त्र संगोपन की शक्ति ही मन्त्रियों की एकमात्र मूल्य है |अपना
व्यक्तिगत स्वार्थ न चाहने वाले ,विवेकी लोग ही मन्त्रणा के उपयुक्त होते हैं
|मन्त्र की यथार्थता को स्वभाव से पहचान जाने वाले मन्त्री होने चाहिएं |
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