1- वेद के पाण्डित्=विद्द्त्ता को व्यर्थ कहने वाले ,निन्दा करने वाले ,शास्त्र को और श्रेष्ठ
आचार को व्यर्थ बताकर उनके विषय में विवाद करने वाले ,शान्त पुरुष को व्यर्थ ही कुवचन कहने वाले ,उसे ढोंगी और पाखण्डी बताने वाले मनुष्य व्यर्थ ही क्लेश पाते हैं ,दुःख उठाते हैं अर्थात वे लोग उन वस्तुओं और मनुष्यों का कुछ नहीं बिगाड़ सकते |
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