Sunday, 6 October 2013

आचार्य चाणक्य जी ने मित्र के बारे में क्या कहा.

1-  जो पीठ पीछे कार्य को बिगाड़े और सम्मुख ,सामने मीठी मीठी बातें बनाये ऐसे मित्र को मुख पर दूध लगे हुए परन्तु भीतर विष-भरे हुए घड़े के समान त्याग देना चाहिए |


2-  कुमित्र ,खोटे मित्र पर कदापि विश्वास न करें और सुमित्र पर भी विश्वास न करें ,क्योंकि ऐसा  न हो की किसी समय कुद्द ,रुष्ट मित्र सब बातों ,रहस्यों ,भेदों को प्रकट कर दे |

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