Sunday, 6 October 2013

आचार्य चाणक्य जी ने मन के बारे में क्या कहा.

1-  मन के द्धारा सोचे हुए कार्य को वचन से नहीं प्रकट करें अपितु मंत्रणा द्धारा मननपूर्वक उसकी रक्षा करें और चुपके चुपके उसे कार्य में परणित करें |

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