1- मनुष्य वृद्दो की सेवा से
व्यवहार-कुशलता या कर्तव्याकर्तव्य को पहचानना सीख सकते हैं |
भावार्थ-
वृद्द पुरुषो की सेवा के द्धारा मनुष्य व्यवहार-कुशलता का ज्ञान प्राप्त कर सकते
हैं |उनसे ही कर्तव्य-अकर्तव्य की पहिचान पकड़ना जान सकते हाँ | जब मनुष्य आग्रह और
श्रद्दा से ज्ञानवृद्दों के पास निरन्तर उठता-बैठता रहता है,उनके वातावरण का अंग
बनकर रहता है ;उन्हें अपनी भूले बतानें और उन पर नि:शक टोकते रहने का असीम अधिकार
देखकर रखता है तो वह वृद्दों की श्रद्दामयी सेवा से विनय प्राप्त करता है और उसमे
कार्यकुशलता भी आ जाती है |
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