Sunday, 6 October 2013

आचार्य चाणक्य जी ने वृद्दो की सेवा करने के बारे में क्या कहा.

1-  मनुष्य वृद्दो की सेवा से व्यवहार-कुशलता या कर्तव्याकर्तव्य को पहचानना सीख सकते हैं |



भावार्थ- वृद्द पुरुषो की सेवा के द्धारा मनुष्य व्यवहार-कुशलता का ज्ञान प्राप्त कर सकते हैं |उनसे ही कर्तव्य-अकर्तव्य की पहिचान पकड़ना जान सकते हाँ | जब मनुष्य आग्रह और श्रद्दा से ज्ञानवृद्दों के पास निरन्तर उठता-बैठता रहता है,उनके वातावरण का अंग बनकर रहता है ;उन्हें अपनी भूले बतानें और उन पर नि:शक टोकते रहने का असीम अधिकार देखकर रखता है तो वह वृद्दों की श्रद्दामयी सेवा से विनय प्राप्त करता है और उसमे कार्यकुशलता भी आ जाती है | 

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