1- काम के समान दूसरी कोई व्याधि ,रोग नहीं है |मोह के समान दूसरा कोई
शत्रु ,वैरी नहीं है |क्रोध के समान कोई दूसरी अग्नि नहीं है और ज्ञान अथवा आत्मज्ञान से बढ़कर और
कोई सुख नहीं है |
2- मेघ के जल के समान दूसरा कोई जल शुद्द नहीं होता और आत्मबल के समान (शरीर में अथवा पृथ्वी
पर )दूसरा कोई बल नहीं है ,आंख के समान शरीर में दूसरा कोई तेज ,तेजस्वी इन्द्रिय नहीं है और अन्न के समान दूसरी कोई वस्तु प्रिय नहीं है |
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