Tuesday, 8 October 2013

आचार्य चाणक्य जी ने सबसे भयंकर रोष के बारे में क्या कहा.

1-      सभी रोषों से भयंकर रोष राज्य के विरुद्द रोष उत्पन्न होता है |यही सबसे भयंकर रोष है |


    भावार्थ - मंत्रियों ,राज्यकर्मियों ,प्रजा में राज्य के विरुद्द रोष उत्पन्न हो जाना समस्त अनर्थों से भयंकर है |प्रजा वर्ग की स्वभेक्षा और स्वीकृति राज्य संस्था का मूल है |जनमत में राज्य संस्था के सम्बन्ध में क्षोभ या रोष उत्पन्न हो जाना ,राज्य संस्था के लिए महाअनिष्टकारी है |जब प्रजावर्ग को राज्य के दुष्प्रबन्ध तथा दुष्ट राज्य-कर्मचारी ,भेड़ियों के उत्पीड़नों से त्रस्त होकर कानून को हाथ में लेने के लिए विबश कर दिया जाता है ,तब राज्य संस्थाओं के नष्ट होने में एक क्षण नहीं लगता है |

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