1- इंद्रियों पर विजय विनय के
द्धारा प्राप्त की जा सकती है |यही इंद्रियों पर विजय का मुख्य साधन है |
भावार्थ - विनयी मनुष्य की इंद्रिया उसकी सुविचारित स्पष्ट आज्ञा के
के बिना संसार में कहीं एक पैर भी नहीं डालती हैं | उसकी इंद्रियों के पैरो में शम
की वह भारी श्रंखता पड़ी रहती है ,जो उन्हें कुमार्ग पर जाने ही नहीं देती है |
नम्रता ,सुशीलता आदि सब विनीत-धर्म हैं | मन के धर्मपरायण होते ही इंद्रिया अपने
आप विजित हो जाती हैं और आत्मसमर्पण करके रहने लगती हैं | विनयी मनुष्य अपनी
स्थिरिता तथा धीरता के प्रभाव से अपनी इंद्रियों पर अधिकार कर लेता है | अविनीत
मनुष्य उद्दंड होता है |
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