Sunday, 6 October 2013

आचार्य चाणक्य जी ने राज्य की अर्थव्यवस्था के बारे में क्या कहा.

1-  राज्य की स्थिरता ही अर्थ का मूल है |राज्य की स्थिरता धन-धान्यदि सम्पति या का प्रधान कारण होता है |

भावार्थ - किसी भी राज्य की उसकी अर्थव्यवस्था ही स्थिर रखती है |यदि राज्य की अर्थव्यवस्था ही ढुलमुल हो जाए तो राज्य का अस्तित्व ही खतरे में पड़ जाता है |राज्य की सुद्रढ़ अर्थव्यवस्था राज्य के सुप्रबंध पर निर्भर करती है |इसमे राज्य कर्मचारियों का ही योगदान रहता है |अतएव राज्य अधिकारी इस प्रकार जनसहयोग से राज्य को ऐश्वर्यशाली बनायें की जन-असंतोष न बढ़े|जनता का प्रसन्नपूर्ण हार्दिक सहयोग प्राप्त हो |जनता पर इस प्रकार के ‘कर’ लगाये जायें ,जो जनता के दुःख का कारण न बने |जिससे जनता उत्साहव् प्रसन्नता के साथ ‘कर’ में योगदान करे |उसे कर-वंचना करने पर बाध्य न होना पड़े |

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