Monday 4 November 2013

चाणक्य जी ने बताया कि राजाओं और व्यक्तियों को अपने दुश्मन के दोस्तों से भी सतर्क रहना चाहिए क्योंकि .

1-      किसी राष्ट्र से शत्रुता रखने वाले राष्ट्र परस्पर मित्र बन जाया करते हैं |


  भावार्थ- निकट आने वाले शत्रु राज्य से अगला राज्य जिसकी हमारे शत्रु से शत्रुता रहना स्वभाविक है उस शत्रु के विरुद्द स्वभाव से ही हमारा मित्र बन जाता है |किसी शत्रु से शत्रुता करने वाले अनेक राष्ट्रों का परस्पर मित्रता का बन्धन स्वभाविक है |किसी राष्ट्र से शत्रुता रखने वाले राष्ट्र परस्पर मित्र बन जाया करते हैं |यह राष्ट्रनायकों का निश्चित स्वभाव माना गया |अतः राजाओं को अपने दुश्मन के दोस्त से भी सतर्क रहना चाहिए | 

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