Friday 8 November 2013

चाणक्य जी ने बताया कि अगर कोई राजा निर्बल और नीतिमान है तो वह शक्तिशाली कैसे बन सकता जाने.

1-      निर्बल ,नीतिमान राजा का तात्कालिक कल्याण इसी में है की वह अधिक शक्तिशाली अन्यायी सशक्त राज्य के साथ सन्धि की नीति को अपनाकर आत्मरक्षा करे और उपस्थिति संग्राम को टाल दे |


 भावार्थ-  नीतिमान पर निर्बल राजा का कर्तव्य है वह अपने से अधिक शक्तिशाली सशक्त राष्ट्र के साथ सन्धि कर अपनी आत्मरक्षा करे |वह अपनी दुर्बल अवस्था का शत्रु को पता चलने से पहले ही अपनी और से सन्धि का प्रस्ताव रखकर आत्मरक्षा का प्रवन्ध करे |वह युद्द स्थगित करने के अवसर का अपनी शक्तिवृद्दि में उपयोग करे |नीतिमान राजा के लिए ये दोनों ही बातें अभीष्ट नहीं है कि सन्धि के द्वारा अपने से बलवान अधार्मिक शत्रु के हाथों में आत्मविक्रय करे या पराजय निश्चित होने पर उससे संग्राम का पिट जाये |

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