आचार्य चाणक्य जी ने बताया कि जो जैसा कर करता वो वैसा फल भोगता.
1-जीवस्वयं कर्म करता है स्वयं ही उसके शुभ और अशुभ फल कों
भोगता है |वह स्वयं संसार में
विभिन्न ,योनियों में भ्रमण
करता है ,चक्कर काटता है और
स्वयं ही पुरुषार्थ करके उससे ,उस संसार-चक्र ,संसार-बन्धन, आवागमन के चक्र से छूटकर मोक्ष प्राप्त करता है |
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