Tuesday, 15 October 2013

आचार्य चाणक्य जी ने बताया कि जो जैसा कर करता वो वैसा फल भोगता.

1-  जीव स्वयं कर्म करता है स्वयं ही उसके शुभ और अशुभ फल कों भोगता है |वह स्वयं संसार में विभिन्न ,योनियों में भ्रमण करता है ,चक्कर काटता है और स्वयं ही पुरुषार्थ करके उससे ,उस संसार-चक्र ,संसार-बन्धन, आवागमन के चक्र से छूटकर मोक्ष प्राप्त करता है |

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