Wednesday, 16 October 2013

चाणक्य जी ने बताया कि कौन से व्यक्ति मित्र कहलाते है .

1-      विपत्ति के दिनों में जबकि सारा संसार विपदाग्रस्त को विपन्न होने के लिए अकेला छोड़ भागता है तब सहानुभूति रखने वाले व्यक्ति ही मित्र कहलाते हैं |


  भावार्थ- जो व्यक्ति विपन्न की विपत्ति को अपने ही ऊपर आई विपत्ति मन लेते हैं और आपातकाल में विपदग्रस्त का साथ देते हैं ,उन्ही को किसी से मित्रता का सम्बन्ध जोड़ने या किसी को अपना मित्र कहने का अधिकार होता है |इसके अतिरिक्त जो लोग आपत्ति के समय मित्रों को अकेला विपन्न होने के लिए छोड़ देते हैं |वह किसी के मित्र बनने या कहलाने के अधिकारी नहीं होते हैं |आने वाली विपदायें ही विपन्न को शत्रु-मित्र की पहचान कराती हैं और सच्चे मित्र से मिलने वाली सच्ची मैत्री बन जाती है |

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