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मन्त्र राजा तथा मुख्यमन्त्री के अतरिक्त किसी भी तीसरे व्यक्ति के कानों तक पहुंचते ही असार
तथा ख़राब हो जाता है |
भावार्थ- जब भी कोई
मंत्रणा हो तो उसे केवल दो उत्तरदायी व्यक्तियों तक ही सीमित रहना चाहिए |राजा और
महामंत्री अथवा महामंत्री और विभागीय मुख्य अधिकारी ,यही दो मिलाकर किसी कार्य की
अंतिम रुपरेखा नियत करें |अपने विभागीय मन्त्रियों से मंत्रणा कर किसी कर ,किसी
कर्तव्य का निर्णय करना महामंत्री का काम होने पर भी कार्य का अंतिम निर्णय राजा
और महामंत्री करें |ये दोनों मन्त्र गोपनीयता के लिए उत्तरदायी हों |छह कानों
अर्थात तीसरे किसी व्यक्ति के पास जाते ही मंत्रणा की गोपनीयता समाप्त हो जाया
करती है |
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