चाणक्य जी ने बताया कि मनुष्य को शरीर में स्थित आत्मा को किस तरह से देखना चाहिए .
1-हेमनुष्य! जैसे तू पुष्प में सुगन्धि को ,तिल में तेल को ,लकड़ी में अग्नि को ,दूध में घी को ,ईख में गुड़ को विचारपूर्वक देखता है ,वैसे ही तू शरीर में स्थित आत्मा को विवेक से देख |
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