Monday, 14 October 2013

चाणक्य जी ने बताया कि शत्रु पर विजय कैसे पायी जा सकती है.

1-      विजीगीषु राजा लोग मन्त्रियों से परामर्श करने स्वरूप आंख से प्रतिपक्षियों की राष्ट्रीय की निर्बलताओं को जन लेते हैं |


  भावार्थ- शत्रु की निर्बलता का पूरा पता लगा लेने पर ही उस पर विजय पाने की पूरी आशा हो सकती है |राजा के लिए शत्रु की निर्बलता जानने के उपाय कुशल मन्त्रियों के साथ विचार विनमय करने के अतिरिक्त दूसरा कोई नहीं है |राजा योग्य मंत्री के बिना राज्य-रक्षा के सम्बन्ध में अन्धा बना रहता है |तर्कशास्त्र ,दंडनीति ,वार्ता आदि विधाओं के पारंगत तथा गुप्त रूप से ली हुई लोभ परीक्षाओं से शुद्द प्रमाणित मंत्री ही राजा की आंखो के समान होता है |मंत्रियों के साथ मिलकर ही राजा राज्य-रक्षा के सम्बन्ध में विचार विनमय करता है | 

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