Sunday, 20 October 2013

चाणक्य जी ने बताया कि किसके बिना क्या व्यर्थ है.

1- अग्निहोत्र के बिना वेद का अध्ययन व्यर्थ है और दान-दक्षिणा के बिना यज्ञादि कर्म निष्फल है , भावना ,प्रेम ,भक्ति ,श्रद्दा के बिना सिद्दि , सफलता प्राप्त नहीं होती , इसलिए भाव = श्रद्दा-भक्ति ही सब सिद्दियों ,सफलताओं का मूल है |

2-गुण मनुष्य के रूप ,सौन्दर्य को शोभायान बना देता है ,शील कुल को अलंकृत कर देता है ,सिद्दि ,अलौकिक शक्तियों की प्राप्ति ,मुक्ति ,बुद्दि विधा को भूषित करती है और भोग धन को सुभूषित बना देता है अर्थात भोग के बिना धन व्यर्थ है |


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