Friday, 18 October 2013

चाणक्य जी ने बताया कि विधा के बिना मनुष्य का जीवन किस प्रकार का होता है .

1-  विधा के बिना मनुष्य का जीवन कुत्ते की पूंछ की भांति व्यर्थ है , क्योंकि कुत्ते की पूंछ न तो गुप्त इन्द्रिय को ढकने में समर्थ है और न ही मच्छर आदि जीवों को उड़ा सकती है |

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