1- अर्जित ,कमाये हुए धनो का
त्याग करना ( दान देना ,व्यय करना )ही उनकी रक्षा है , जैसे तालाब के भीतर भरे हुए जलों को निकालने से ही उनकी रक्षा होती है |
2- संसार में जिसके पास धन होता है उसके सब मित्र बन जाते हैं , जिसके पास द्रव्य हों
उसके सब बन्धु बन जाते हैं , जिसके पास धन हों वही मनुष्य बड़ा आदमी गिना जाता है और उसके पास धन होता है
वही ठाठ-बाट से जीता है |
No comments:
Post a Comment