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मन्त्र ग्रहण करते समय मन्त्रदाता के छोटे-बड़ेपन पर ध्यान न देकर उसके अभ्रान्तपने पर ईषर्या न करके श्रद्दा के साथ
मन्त्र ग्रहण करना चाहिए |
भावार्थ- किसी को दबाकर
अपनी बात ऊपर रखने का प्रयत्न न होना चाहिए |अच्छी बात सबकी सुननी चाहिए |मन्त्र
के समय शाब्दिक संघर्ष नहीं होना चाहिए |उस समय बात पर अड़ने से धैर्य हानि तथा
कार्य का वव्याघात निश्चित हो जाता है |व्यक्ति को सदैव अपनी बात पर अड़ना नहीं
चाहिए |येसा करने से कभी-कभी सारा कार्य बिगड़ जाता है |
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