नीतिमत्ता का अनुगमन करना ही राजा की योग्यता है |
भावार्थ- हेतुशास्त्र
,दण्डनीति तथा अर्थशास्त्र नीतिमत्ता के अन्तर्गत आते हैं |शासन-व्यवस्था से
सम्बन्ध रखने वालों को इन सब राज्यशास्त्रों का सूक्ष्म ज्ञान होना चाहिए |यदि
राज्यधिकारी लोग राज्यशास्त्र से अपरचित रहकर तथा अपने कृत्यों पर कोई सामाजिक नियन्त्रण
न रख स्वेच्क्षाचारिता से राज्य करेंगे तो प्रवल अनिष्ट होने सुनिश्चित हैं |राजा
को नीतिप्रोक्त नियमों के अनुसार ही आत्मरक्षा तथा प्रजा का का पालन करना चाहिए
|बहुत-से राजा अविनय या दुनीति से विनाश पा चुके हैं |अतः राजा को शासन-व्यवस्था
से संबधित राज्यशास्त्रों की पूर्ण जानकारी होनी आवश्यक है |
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