1-
सच्चे मित्रों के मिलने या संग्रह करने से ही
व्यक्ति को बल प्राप्त होता है |
भावार्थ- सच्चे मित्र मिलने वाला ,स्वामी ,अमात्य
,राष्ट्रदुर्ग ,कोष, सेना तथा मित्र इन सातों या इनमें से कुछ रूपों में प्राप्त
होता है |बल शरीर-सामर्थ्य का वाचक भी है |किन्तु यहां पर बल राज्यशक्ति से
सम्बन्ध बल का पारिभाषिक नाम है |सच्चे मित्रों से मिलने वाले सत्य को ही मनुष्य
को बलवान बनाने वाला मित्र बताया गया है |सत्य को अपनाकर असत्य का विरोध करते हुए
विपन्न होने से डरना ,शक्तिमानों का स्वभाव होता है |
2-
सत्य या सच्चे मित्रों के बल से बलवान व्यक्ति अप्राप्त राज्येश्वर्य पाने के लिए भी सत्यानुमोदित प्रयत्न किया करे ,या किया जाना चाहिए |
भावार्थ- सत्य बल से
बलवान व्यक्ति अप्राप्त राज्येश्वर्य पाने के लिए भी उचित उधम उत्साह तथा अध्यवसाय
से युक्त होकर रहे ,तब ही उसके बल का यथोचित उपयोग और विकास संभव है |सत्य के बल
से बलवान व्यक्ति राजेश्वर्य पाने या उसे उत्पन्न करने व् उसे निरन्तर बढ़ाते रहने
के लिए सत्यानुमोदित प्रयत्न करने पर ही प्राप्त कर सकते हैं |
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